वर्तमान सदी में देश की विशाल आबादी और उसके सपनों को पूरा करने के लिए प्रौद्योगिकी और नवाचार का लाभ उठाना होगा। आज सूचना और संचार प्रौद्योगिकियां आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। डिजिटल इंडिया का लक्ष्य इस क्षमता का दोहन करना है। भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज बनाने और ज्ञान अर्थव्यवस्था में ज्ञान आधारित परिवर्तन लाने के लिए सरकार डिजिटल इंडिया परियोजना को व्यापक कार्यक्रम के रूप में लागू कर रही है।
ई-गवर्नेंस अधिक कुशल, लागत प्रभावी और सहभागी सरकार को सक्षम करने के लिए सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) का उपयोग करती है, और अधिक सुविधाजनक सरकारी सेवाओं की सुविधा प्रदान करने के साथ सूचनाओं तक अधिक से अधिक सार्वजनिक अभिगम (पहुंच) की अनुमति देते हुए सरकार को नागरिकों के प्रति अधिक जवाबदेह बनाती है। देशों को क्षेत्रीय और वैश्विक अर्थव्यवस्था से बेहतर प्रतिस्पर्धा करने में मदद के लिए इस तरह के कार्य बाजारों और व्यक्तिगत विकल्पों को मजबूत करते हुए अन्य सुधारों को सुदृढ़ करते हैं, जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है और गरीबी में कमी आती हैं। हालांकि, ई-गवर्नेंस परियोजनाओं को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए, समाधान अंतर-संचालित, सुरक्षित, मापनीय, पुन: प्रयोज्य होना चाहिए, जिससे दक्षता, प्रभावशीलता, लागत और जोखिम में कमी आए। इसका दोहन करने के लिए एमआईईटी ने मानकीकरण परीक्षण और गुणवत्ता प्रमाणन (एसटीक्यूसी) निदेशालय और प्रगत संगणन विकास केंद्र (सी-डैक) को ई-शासन के तहत "ई-गवर्नेंस मानक और दिशानिर्देश (ईजीएसजी)" नामक परियोजना के संबद्ध क्षेत्रों के मौजूदा मानकों को नए सिरे से या मौजूदा मानकों, दिशानिर्देशों और/या ढांचे को संशोधित करने का काम सौंपा है। ई-गवर्नेंस मानक, दिशानिर्देश, फ्रेमवर्क सरकारी सेवाओं को सामान्य सेवा वितरण आउटलेट के माध्यम से आम आदमी के लिए सुलभ बनाते हैं, जिससे किफायती लागत पर दक्षता, पारदर्शिता और विश्वसनीयता सुनिश्चित होती है। साथ ही, मुक्त एपीआई के माध्यम से, जिसका मंच और भाषा स्वतंत्र होना चाहिए,किसी सरकारी संगठन के ई-शासन अनुप्रयोग या प्रणाली के भीतर की सभी प्रासंगिक जानकारी, डेटा और कार्यात्मकता, अन्य ई- शासन अनुप्रयोगों/प्रणालियों के लिए उपलब्ध कराया जाएगा।